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| मजदूरी मांगी तो नंगा कर पिटवाया संजय टुटेजा/एसएनबी
नई दिल्ली। मेट्रो के चेहरे पर बुधवार को एक बार फिर काला दाग लग गया। मेट्रो के एक ठेकेदार ने मजदूरी मांगने पर श्रमिक को न केवल बंधक बना लिया बल्कि बंद कमरे में नंगा कर गुण्डो से पिटवाया। हैवानियत की हद तो तब हो गई जब उसे निर्वस्त्र कर उसके कूल्हों पर डंडे से प्रहार किए गए और फिर वही डंडा उसकी टांगो में फंसाकर उसे मुर्गा बनाकर दौड़ाया गया। बाद में उसे फंदे पर लटका कर जान से मारने की कोशिश भी की गई। श्रमिक का कसूर केवल इतना था कि उसने न्यूनतम मजदूरी व छुट्टी की मांग की थी। विडंबना यह है कि घटना के 24 घंटे बाद भी पुलिस ने मामला नहीं दर्ज किया है। मानवता को शर्मसार करने वाली यह घटना कल शाम मेट्रो के नजफगढ़ डिपो के पीछे हुई जहां एक पुराने गैराज में मेट्रो के सफाई कर्मचारी विपिन शाह को लगभग छह घंटे तक बंधक बना कर पीटा गया। पीड़ित विपिन शाहद्वारका मेट्रो स्टेशन पर वर्ष 2005 से सफाई कर्मचारी के रूप में ठेकेदार के अधीन कार्य कर रहा था। पिछले वर्ष नवंबर में सफाई का ठेका एराईस कारपोरेट सर्विस प्राइवेट लिमिटेड ने ले लिया। विपिन के अनुसार नवंबर से मार्च माह तक वह इसी कंपनी के अधीन कार्य कर रहा था, मार्च में जब उसने कंपनी से न्यूनतम मजदूरी व साप्ताहिक अवकाश की मांग की तो उसे नौकरी से निकाल दिया गया। न्याय के लिए विपिन ने श्रम विभाग का दरवाजा खटखटाया लेकिन वहां भी उसे न्याय नहीं मिला। ठेकेदार कंपनी को जब विपिन के श्रम विभाग में जाने की सूचना मिली तो कल शाम लगभग 4 बजे ठेकेदार कंपनी के प्रोजेक्ट मैनेजर सुनील कुमार ने उसे उसकी मजदूरी देने के लिए फोन कर नजफगढ़ मेट्रो डिपो बुलाया। लगभग साढ़े चार बजे वह सुनील से मिलने जब डिपो पहुंचा तो वह उसे डिपो के पीछे एक सुनसान स्थल पर स्थित पुराने गैराज में ले जाया गया जहां तीन बदमाशों ने उसे जमकर पीटा।पहले तो उसके गले में रस्सी बांधकर उसे फंदा लगाने व उसके टुकड़े करके नजफगढ़ नाले में फेंकने की धमकी दी गई बाद में उसके सारे कपड़े उतरवा लिए गए। विपिन बताता है कि उसे नंगा कर उसके कूल्हे पर लगातार डंडे से मारा गया। बाद में वही डंडा उसकी टांगों में फंसा दिया गया और मुर्गा बनाकर चलने को कहा गया। विपिन ने बताया कि रात्रि 10.30 बजे तक उसके साथ मारपीट होती रही। इसके बाद बदमाश उसे कमरे से बाहर लाए जहां से वह किसी तरह भाग निकला। बुधवार सुबह वह मेट्रो कामगार यूनियन के पदाधिकारियों के साथ राजौरी गार्डन मेट्रो थाने गया लेकिन इसे मेट्रो से बाहर का मामला बताकर वापस कर दिया। बाद में वह नजफगढ़ थाने पहुंचाजहां उसे दूसरे थाने का मामला बताकर लौटा दिया। इसके बाद वह थाना छांवला पहुंचा जहां पुलिस ने उसकी सिर्फ तहरीर लेकर उसकी चिकित्सीय जांच कराई।
(राष्ट्रीय सहारा से साभार)
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5 कमेंट:
मैंने भी अपने ब्लॉग पर इस खबर का जिक्र किया है....
पूंजी के राज में मजदूरों को यही मिल सकता है। बर्बर दमन, उत्पीड़न और अपना अधिकार मांगने पर लाठी, गोली, और मार-पिटाई।
श्रीधरन को यह सब शायद नहीं दिखाई देता। उन्हें बस वाह-वाही मिलती है।
यह व्यवस्था एक गंदा, घिनौना लूटतंत्र है, यह कहीं से भी सभ्यता का युग नहीं है।
ऐसी खबरों को मीडिया भी स्थान नहीं देता। लगता है इस तरह की घटनाएँ घटती ही नहीं हैं। जब कि ये आम हैं। इन्हें लगातार किसी भी तरह लोगों तक पहुँचना चाहिए। पुलिस द्वारा कार्यवाही नहीं किये जाने पर सीधे अदालत में शिकायत दर्ज करवाना चाहिए। और अपराधियों को सजा दिलाने की पूरी कोशिश की जानी चाहिए।
बेहद दुखद घटना है, वे इसी तरह हौसला तोड़ने की कोशिश करते हैं लेकिन संघर्ष रुकना नहीं चाहिए, मजदूर एकता जिदाबाद. एकता में ही शक्ति है.
अत्यंत दुखद घटना है, इसी तरह एक ठेकेदार के गुंडों ने सफ़दर हाशमी को पीट पीटकर मार डाला था. अपने चैनल वाले भाई कहाँ हैं...
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