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26.5.11

12 मज़दूर नेता ज़मानत पर रिहा, आन्दोलन और तेज करने का ऐलान

प्रधानमंत्री, राष्ट्रपति और मानवाधिकार आयोग को पत्र लिखकर प्रशासन के पक्षपात और दमन-उत्पीड़न की जानकारी दी

नई दिल्‍ली, 26 मई। गोरखपुर में पिछले 20 मई को गिरफ्तार किए गए 12 मज़दूर नेता आज ज़मानत पर रिहा कर दिए गए। रिहा होने के बाद संयुक्त मज़दूर अधिकार संघर्ष मोर्चा के तपीश मैन्दोला ने कहा कि मज़दूरों की मांगों को लेकर आन्दोलन अब और तेज किया जाएगा।
     उन्होंने कहा कि मालिकान की शह पर प्रशासन डरा-धमकाकर और लाठी-गोली-जेल के सहारे मज़दूर आन्दोलन को कुचलने की कोशिश कर रहा है लेकिन वह कामयाब नहीं होगा। मज़दूर अपने मूलभूत अधिकारों की लड़ाई लड़ रहे हैं और वे अब पीछे नहीं हटेंगे। तपीश ने कहा कि वी.एन. डायर्स में जबरन तालाबन्दी करके और अंकुर उद्योग में मज़दूरों पर गोलियां चलवाकर मालिकों ने यह लड़ाई मज़दूरों पर थोपी है। मगर प्रशासन मालिकों के सुर में सुर मिलाकर उल्टा हमें ही अराजक और विकास-विरोधी बता रहा है।
     इस बीच संयुक्त मज़दूर अधिकार संघर्ष मोर्चा की ओर से प्रशान्त ने आज प्रधानमंत्री,राष्ट्रपति और मानवाधिकार आयोग को पत्र भेजकर मज़दूरों के दमन-उत्पीड़न और गोरखपुर ज़िला प्रशासन तथा पुलिस के पक्षपातपूर्ण रवैये की जानकारी दी। पत्र में लिखा गया है कि मज़दूरों को शान्तिपूर्ण ढंग से धरना-प्रदर्शन तक नहीं करने दिया जा रहा है और किसी अधिकारी तक से मिलने नहीं दिया जा रहा है। चिलुआताल के थानाध्यक्ष गजेन्द्र राय बरगदवा में घर-घर जाकर मज़दूरों को धमका रहे हैं और कारखाने में काम पर जाने के लिए ज़ोर-ज़बर्दस्ती कर रहे हैं।
      मज़दूर आन्दोलन का समर्थन करने के कारण गिरफ्तार की गयी बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय में पत्रकारिता की छात्रा और सामाजिक कार्यकर्ता श्वेता ने भी पत्र भेजकर राष्ट्रीय महिला आयोग से पुलिस द्वारा की गयी बदसलूकी और डराने-धमकाने की शिकायत की है। पांच दिन बाद जेल से रिहा हुई श्वेता ने कहा कि चिलुआताल के थानाध्यक्ष गजेन्द्र राय ने उन्हें ''देख लेने'' और कैरियर बर्बाद कर देने की धमकी दी। गिरफ्तार करने के बाद उन्हें तथा एक मज़दूर की बुजुर्ग मां सुशीला देवी को महिला थाने में भी डराया-धमकाया गया।
ज्ञातव्य है कि गत 20 मई को जब पांच अनशनकारियों के साथ मज़दूर ज़िलाधिाकारी से मिलने जा रहे थे तो पुलिस ने उन पर कई बार लाठीचार्ज किया था जिसमें 25 मज़दूरों को चोटें लगी थीं। पुलिस ने 73 मज़दूरों को हिरासत में लिया था जिनमें से 59 मज़दूरों को देर रात छोड़ दिया गया था लेकिन तपीश मैन्दोला और दो महिला कार्यकर्ताओं श्वेता तथा सुशीला देवी सहित 14 मज़दूर नेताओं को जेल भेज दिया गया था। उन पर विभिन्न जमानती एवं गैर-जमनाती धाराओं में तीन-तीन मुकदमे कायम किए गए थे।
 
इस बीच संयुक्त मजदूर अधिकार संघर्ष मोर्चा ने आज राज्य के प्रमुख सचिव, श्रम को दिए गए ज्ञापन में कहा है कि गोरखपुर में तमाम कारखानों में श्रम कानूनों का उल्लंघन हो रहा है और श्रम विभाग के अधिकारी खुलेआम पक्षपात कर रहे हैं जिसके कारण यहां निरन्तर श्रमिक अशान्ति बनी हुई है। इसलिए शासन के स्तर से उच्च स्तरीय जांच टीम भेजकर यहां सभी कारखानों की तथा स्थानीय श्रम कार्यालय की भूमिका की जांच करायी जाए। गत 19 मई को मज़दूरों को बाहर रखकर पक्षपातपूर्ण ढंग से केवल वी.एन. डायर्स के मालिकों के साथ एकतरफा वार्ता आयोजित कर निर्णय करने वाले श्रम विभाग के अधिकारियों पर कार्रवाई की जाये।
इस बीच गोरखपुर के दोनों औद्योगिक क्षेत्रों, कार्यालयों और शहर के प्रमुख स्थानों पर नुक्कड़ सभाओं तथा रिहायशी इलाकों में जनसम्पर्क के जरिए उद्योगपतियों तथा प्रशासन की मिलीभगत का भंडाफोड़ करने और मजदूरों की मांगों के पक्ष में जनसमर्थन जुटाने का अभियान जारी है।
देश के विभिन्न भागों से गोरखपुर में मजदूर आन्दोलन की निन्दा और मायावती सरकार पर दबाव बनाने का अभियान भी लगातार जारी है। आज मुंबई में गरीबों को उजाड़ने के खिलाफ मेधा पाटकर के नेतृत्व में चल रही भूख हड़ताल और प्रदर्शन के दौरान भी गोरखपुर के मजदूरों के दमन का सवाल उठाया गया और संघर्षरत मजदूरों के साथ एकजुटता जाहिर की गयी। बंगलूर से सामाजिक कार्यकर्ता कावेरी इन्दिरा के नेतृत्व में विभिन्न सामाजिक कर्मियों ने मुख्यमंत्री तथा अन्य अधिकारियों को फोन तथा फैक्स द्वारा अपना विरोध दर्ज कराया। कल कोलकाता में विभिन्न संगठन प्रदर्शन कर राज्यपाल के माध्यम से मुख्यमंत्री मायावती के नाम ज्ञापन भेजकर उत्तर प्रदेश में मज़दूरों के बढ़ते दमन पर विरोध जताएंगे।
 
कृपया इस ऑनलाइन याचिका पर हस्‍ताक्षर करके मजदूरों के दमन का विरोध करें : http://bit.ly/kvIuIq  

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24.5.11

जेल में मज़दूर नेता आमरण अनशन पर, बाहर समर्थकों ने मोर्चा संभाला शहर में जगह-जगह पोस्‍टर-पर्चों के जरिये किया मालिक-प्रशासन के झूठ का पर्दाफाश


देश-विदेश से कानूनविदों-एक्टिविस्‍टों-पत्रकारों ने मायावती के नाम अपील पर हस्‍ताक्षर करके दमन की निंदा की

नई दिल्‍ली, 23 मई। 3 मई को मज़दूरों पर चली गोलियों और उसके विरोध में 9 तारीख के शांतिपूर्ण मजदूर सत्‍याग्रह के बर्बर दमन के बाद और 20 मई को लाठीचार्ज के बाद फर्जी आरोपों में दो महिला साथियों समेत 14 मजदूर नेताओं की गिरफ्तारी का मामला तूल पकड़ रहा है। जेल में बंद मजदूर नेताओं ने आज भी आमरण अनशन जारी रखा। दूसरी तरफ,उनके समर्थकों ने गोरखपुर शहर के विभिन्‍न इलाकों में प्रचार अभियान चलाकर प्रशासन के झूठ का भंडाफोड़ किया। इसके अलावा देश-विदेश के ट्रेडयूनियन कर्मियों, एक्टिविस्‍टों, जनवादी अधिकार और मानवाधिकार कर्मियों ने मुंबई की सीनियर एडवोकेट कामायनी बाली महाबल द्वारा मायावती के नाम जारी की गई ऑनलाइन अपील पर हस्‍ताक्षर करके पुलिस-प्रशासन द्वारा मजदूर आंदोलन के दमन की निंदा की और फर्जी आरोपों में गिरफ्तार नेताओं की रिहाई की मांग की।
गोरखपुर मजदूर आंदोलन समर्थक नागरिक मोर्चा ने बताया कि आज सुबह से ही गोरखपुर में अलग-अलग कारखानों के मजदूर और आंदोलन समर्थक छात्रों-युवाओं ने भगवानपुर मोहल्‍ला, बरगदवां गांव, बरगदवा चौराहा, मोहरीपुर, गीडा,विकासनगर के इलाकों में घर-घर जाकर लोगों को प्रशासन के झूठ और पक्षपातपूर्ण रवैये के बारे में बताया। उन्‍होंने इन इलाकों में पोस्‍टर चिपकाकर और पर्चे बांटकर भी मालिक-प्रशासन-नेता-गुंडा गठजोड़ का भंडाफोड़ किया। उधर, संयुक्‍त मजदूर अधिकार संघर्ष मोर्चा ने कहा कि 3 मई के गोलीकांड के दोषी फैक्‍ट्री मालिक, माफिया सरगना प्रदीप सिंह को गिरफ्तार नहीं किया गया, फर्जी मुकदमों में बंद किए मजदूर नेताओं को छोड़ा नहीं गया और शांतिपूर्ण ढंग से आंदोलन कर रहे मजदूरों के बर्बर दमन के जिम्‍मेदार अधिकारियों पर कोई कार्रवाई नहीं हुई तो वे अपना अभियान तेज़ कर देंगे। उन्‍होंने बताया कि मजदूरों ने फैसला किया है कि जब तक वी.एन. डायर्स से निकाले गए 18 मजदूरों को काम पर वापस नहीं लिया जाएगा तब तक एक भी मजदूर काम पर नहीं जाएगा।
दूसरी तरफ, आज जारी की गई ऑनलाइन अपील पर सुबह तक 130 हस्‍ताक्षर किए जा चुके थे। हस्‍ताक्षर करने वाले नामों में एडवोकेट और सामाजिक कार्यकर्ता कामायनी बाली महाबल, ट्रेडयूनियन और मानवाधिकार कर्मी सुधा उपाध्‍याय एवं रोमा, एन.ए.पी.एम. के मधुरेश, हल्‍द्वानी से लेखक एवं संस्‍कृतिकर्मी अशोक कुमार पाण्‍डेय, मुंबई से फोटो जर्नलिस्‍ट जावेद इक़बाल, यू.के. से स्‍टीफन कार्डवेल, हैदराबाद यूनिवर्सिटी के प्रो. बी.आर. बापूजी, अमेरिका से फ्रे‍डरिक डिसूज़ा,  पत्रकार मेहताब आलम, प्रियरंजन, अमलेंदु उपाध्‍याय, संदीप शर्मा, दीपांकर चक्रवर्ती, कमेटी फॉर कम्‍युनल एमेटी, मुंबई के शुक्‍ल सेन, कोलकाता से गौतम गांगुली, सायन भट्टाचार्य, मेदिनीपुर अनिर्बान प्रधान, जगदलपुर से अली सैयद, चेन्‍नई से रंजनी कमल मूर्ति एवं अन्‍य छात्रों-सामाजिक-राजनीतिक कार्यकर्ताओं-पत्रकारों के नाम शामिल हैं। ऑनलाइन पिटीशन पर हस्‍ताक्षर करने यह सिलसिला जारी है। इसके अतिरिक्‍त देशभर से जागरूक नागरिक उत्तर प्रदेश और विशेषतौर पर गोरखपुर प्रशासन को फोन-फैक्‍स-ईमेल करके भी पुलिस-प्रशासन द्वारा शांतिपूर्ण मजदूर आंदोलन के दमन और मजदूर नेताओं की गिरफ्तारी पर विरोध जता रहे हैं।
उल्‍लेखनीय है कि गोरखपुर में 3 मई के गोलीकांड के दोषियों की गिरफ्तारी और अन्‍य मांगों को लेकर 16 मई से भूख हड़ताल पर बैठे मजदूर 20 मई को जिलाधिकारी कार्यालय ज्ञापन देने जा रहे थे तो पुलिस ने उन पर बर्बर लाठीचार्ज करके 73 मजदूरों को हिरासत में लिया था जिनमें से अधिकांश मजदूर देर रात छोड़ दिए गए थे लेकिन बीएचयू की छात्रा श्‍वेता, स्‍त्री मजदूर सुशीला देवी और अन्‍य 12 को गिरफ्तार कर लिया गया था। पुलिस 20 तारीख को दिन में ही मजदूर नेता तपीश मैंदोला को किसी अन्‍य स्‍थान से उठा ले गई थी और अगले दिन कोर्ट में उनकी पेशी से पहले तक तपिश की गिरफ्तारी से इंकार करती रही। बाद में दोपहर को अचानक तपिश को मजिस्‍ट्रेट के सामने पेश कर दिया गया। सभी मजदूर नेताओं पर पुलिस ने तीन-तीन फर्जी मुकदमे दायर किए हैं। जेल भेजे गए सभी 14 मजदूर नेताओं ने जेल में आमरण-अनशन शुरू कर दिया है। इनमें से श्‍वेता और सुशीला देवी पिछले 6 दिन से आमरण अनशन पर हैं जिसके कारण उनकी हालत लगातार बिगड़ रही है। इसके बावजूद उन्‍होंने जेल में भी आमरण अनशन शुरू कर दिया है। दो मुकदमों में दोनों को जमानत मिलने के बावजूद पुलिस द्वारा दायर किए गए तीसरे मुकदमे में उन्‍हें जमानत नहीं मिली थी।


गोरखपुर मज़दूर आंदोलन समर्थक नागरिक मोर्चा 

कात्‍यायनी-09936650658सत्‍यम-09910462009संदीप-08447011935 

Please sign this online petition: http://www.petitiononline.com/mayawati/petition.html

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22.5.11

मजदूरों या उनके प्रतिनिधियों को सूचना दिए बिना ही निपटा ली गई एकतरफा वार्ता

गोरखपुर: वीएन डार्यस-प्रशासन के बीच हुई वार्ता अवैधानिक

निकाले गए 18 मजदूरों को काम पर वापस रखने की मजदूरों की मुख्‍य मांग पर चर्चा तक नहीं हुई

14 मजदूर नेताओं ने जेल में आमरण अनशन जारी रखा

फैक्‍ट फाइंडिंग टीम की जांच पूरी, प्रथम दृष्‍टया प्रशासन की भूमिका को नकारात्‍मक बताया




नई दिल्‍ली, 22 मई। गोरखपुर मजदूर आंदोलन समर्थक नागरिक मोर्चा ने कल शाम वीएन डायर्स के मालिक विष्‍णु अजीत सरिया-श्रम विभाग-प्रशासन के बीच हुई वार्ता को अवैध एवं कानून विरोधी बताया है। मोर्चा ने कहा कि कल हुई इस एकतरफा वार्ता में मजदूरों के प्रतिनिधि शामिल नहीं थे। इससे स्‍पष्‍ट होता है कि गोरखपुर प्रशासन मालिकों के पक्ष में काम कर रहा है, क्‍योंकि मजदूरों या उनके प्रतिनिधियों को इस वार्ता की सूचना तक नहीं दी गई। मजदूरों के प्रतिनिधियों के बिना हुई यह वार्ता पूरी तरह अवैधानिक है और इसमें श्रमिकों की मुख्‍य मांग, अवैध रूप से निकाले गए 18 मजदूरों को काम पर वापस लेने, पर कोई चर्चा ही नहीं गई।

मोर्चा ने कहा कि मालिक और मजदूर मिलकर वार्ता कर सकते हैं लेकिन मालिक-श्रम विभाग-प्रशासन ने इस वार्ता से मजदूरों को बाहर रखकर खुद ही फैसला कर लिया कि मिल चालू की जाएगी। यही नहीं इस वार्ता में मालिक और प्रशासन से पूरी तरह गलतबयानी की है कि मजदूरों के कारण कारखानों में 30 अप्रैल से तालाबंदी है। सच्‍चाई यह है कि वीएन डायर्स के मालिकान ने 10 अप्रैल को ही कारखाने की बिजली कटवा दी थी और जबरन तालाबंदी कर दी थी। तभी से ताला खुलवाने के लिए मजदूरों की तरफ से लगातार प्रशासन तथा श्रम विभाग को ज्ञापन दिए जा रहे हैं। इसके बावजूद प्रशासन मालिकों के पक्ष में तथ्‍यों को तोड़-मरोड़ रहा है।

मोर्चा ने कहा कि यह एकतरफा फैसला किसी मजदूर को स्‍वीकार नहीं है। सभी मजदूर और संयुक्‍त मजदूर अधिकार संघर्ष मोर्चा चाहते हैं कि कारखाने चालू हों, लेकिन जब तक फैक्‍ट्री से निकाले गए 18 मजदूरों को काम पर नहीं रखा जाएगा तब तक एक भी मजदूर काम पर नहीं जाएगा। आज भी कार्यालय स्‍टाफ के एक-दो कर्मचारियों को छोड़कर कोई मजदूर फैक्‍ट्री में काम करने नहीं गया।

इस बीच जेल भेजे गए सभी 14 मजदूर नेताओं ने जेल में आमरण-अनशन शुरू कर दिया है। गौरतलब है कि पिछले 6 दिन से श्‍वेता और सुशीला देवी भी आमरण अनशन पर थे जिसके कारण उनकी हालत बिगड़ गई थी। इसके बावजूद उन्‍होंने जेल में भी आमरण अनशन शुरू कर दिया है। कल दो मुकदमों में दोनों को जमानत मिलने के बावजूद पुलिस द्वारा दायर किए गए तीसरे मुकदमे में उन्‍हें जमानत नहीं मिली और 12 अन्‍य मजदूर नेताओं के साथ उन्‍हें जेल भेज दिया गया था। सभी मजदूर नेताओं पर विभिन्‍न धाराओं में तीन-तीन फर्जी मुकदमे दायर किए गए हैं।

इधर, मजदूरों ने बरगदवा के कारखाना गेटों और मजदूर बस्तियों में सभाओं और प्रचार का सिलसिला तेज कर दिया है। शहर के नागरिकों तथा छात्रों-युवाओं-कर्मचारियों को भी प्रशासन की अंधेरगर्दी तथा मजदूरों की जायज मांगों से अवगत कराने के लिए आज से शहर में पर्चे बांटने शुरू कर दिए गए। इस अभियान को विस्‍तार देते हुए,कल से व्‍यापक जनसंपर्क शुरू कर दिया जाएगा। मोर्चा ने मालिकों की शह पर पुलिस द्वारा मकान-मालिकों पर मजदूरों को मकान से निकालने का दबाव बनाने की भी कड़ी निंदा की।

दूसरी ओर, अंकुर उद्योग लिमिटेड में दिनांक 3 मई को हुए गोलीकांड की देशव्यापी चर्चा एवं मजदूर आंदोलन सेसंबंधित घटनाओं की विभिन्न स्रोतों से जानकारी मिलने के पश्चात 19 मई को गोरखपुर पहुंची मीडियाकर्मियों और सामाजिक कार्यकर्ताओं की एक तथ्य अन्वेषण (फैक्ट फाइंडिंग) टीम ने जांच पूरी कर ली है। अपने तीन दिनी प्रवास के दौरान यह टीम एसपी सिटी, कमिश्नर, डीएलसी, संबंधित पुलिस अधिकारियों, विभिन्नमजदूर नेताओं, बुद्धिजीवियों, पत्रकारों, जनवादी अधिकारकर्मियों, एवं अंकुर उद्योग लि. तथा वी.एन. डायर्स केमजदूरों से मिली एवं पूरे घटनाक्रम पर विस्तार से बातचीत की। टीम जांच पूरी कर ली है एवं संबंधित तथ्य तथा दस्तावेज एकत्रित कर लिए हैं। जांच दल के सदस्यों का प्रथम दृष्टतया यह मत बना है कि अंकुरउद्योग लि. में हुई घटना एवं इस क्षेत्र के मजदूर आंदोलन के संबंध में प्रशासन की भूमिका नकारात्मक एवं आंदोलन विरोधी रही है। फैक्ट फाइंडिंग टीम अगले कुछ दिनों में अपनी विस्तृत रिपोर्ट तैयार करके प्रकाशित करेगी।



 गोरखपुर मजदूर आंदोलन समर्थक नागरिक मोर्चा 


कात्‍यायनी-09936650658, सत्‍यम-09910462009, संदीप-08447011935

ईमेल: satyamvarma@gmail.com, sandeep.samwad@gmail.com
 

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21.5.11

फर्जी आरोप में 12 मजदूर नेताओं को जेल भेजा

गोरखपुर मजदूर गोलीकांड 
'मायाराज' बना आतंकराज 
दिनभर शहरभर में मजदूरों को खदेड़ती रही पुलिस 
मजदूर नेताओं ने जेल में आमरण अनशन शुरू किया

नई दिल्‍ली, 21 मई। आज गोरखपुर की पुलिस और प्रशासन ने मालिकपरस्‍त अंधेरगर्दी की नई मिसाल कायम कर दी। लेकिन पुलिसिया दमन के बावजूद मजदूर अपना सत्‍याग्रह विभिन्‍न रूपों में जारी रखे रहे। 
3 मई के गोलीकांड के दोषियों की गिरफ्तारी और अन्‍य मांगों को लेकर 16 मई से भूख हड़ताल पर बैठे मजदूर कल, 20 मई को, जिलाधिकारी कार्यालय ज्ञापन देने जा रहे थे तो पुलिस ने उन पर बर्बर लाठीचार्ज करके 73 मजदूरों को हिरासत में लिया था जिनमें से अधिकांश मजदूर देर रात छोड़ दिए गए थे लेकिन बीएचयू की छात्रा श्‍वेता, स्‍त्री मजदूर सुशीला देवी और अन्‍य 12 को गिरफ्तार कर लिया गया था। पुलिस कल दिन में ही मजदूर नेता तपीश मैंदोला को किसी अन्‍य स्‍थान से उठा ले गई थी और आज सुबह तक तपिश की गिरफ्तारी से इंकार करती रही। बाद में दोपहर को अचानक तपीश को अदालत में पेश कर दिया गया। सभी मजदूर नेताओं पर पुलिस ने धारा 309 के तहत आत्‍महत्‍या के प्रयास का मुकदमा दर्ज किया है। यह अपने आपमें हास्‍यास्‍पद है क्‍योंकि इनमें से अधिकांश तो अनशन पर बैठै ही नहीं थे। श्‍वेता तथा सुशीला देवी, जिनका स्‍वास्‍थ्‍य पांच दिन की भूख हड़ताल के बाद बिगड़ रहा था, उन्‍हें जमानत पर रिहा कर दिया गया है। बाकी 12 मजदूरों को जेल भेज दिया गया है। मजदूर नेताओं ने जेल में ही आमरण अनशन शुरू कर दिया है।
दूसरी ओर, पूर्वघोषित कार्यक्रम के अनुसार सैकड़ों मजदूर आज भी जिलाधिकारी को ज्ञापन सौंपने जा रहे थे लेकिन पुलिस ने जगह-जगह लाठीचार्ज कर उन्‍हें एकत्र नहीं होने दिया। इसके बाद मजदूरों ने टाउनहॉल स्थित गांधी प्रतिमा पर धरना देने की कोशिश की लेकिन वहां भी पुलिस ने मजदूरों को पहुंचने नहीं दिया। जिलाधिकारी कार्यालय घंटों तक पुलिस छावनी बना रहा और पुलिस के जवान आसपास के इलाके में ढूंढ़ कर मजदूरों को खदेड़ते रहे। कलेक्‍ट्रेट और टाउनहॉल के इर्द-गिर्द किसी भी स्‍थान पर चार-पांच मजदूर जैसे दिखने वाले व्‍यक्तियों को देखते ही पुलिस लाठियां लेकर तितर-बितर कर दे रही थी।
दिनभर चले दमन चक्र के बावजूद मजदूर सत्‍याग्रह जारी रखने पर दृढ़ हैं। शाम होते-होते सैकड़ों की संख्‍या में मजदूर वीएन डायर्स के तालाबंद कारखानों के गेट पर उसी स्‍थान पर फिर से जुट गए जहां जारी आमरण अनशन को पुलिस ने गिरफ्तारियों के द्वारा बंद करा दिया था। जेल में आमरण अनशन पर बैठे मजदूर नेताओं के समर्थन में बड़ी संख्‍या में विभिन्‍न कारखानों के मजदूर धरने पर बैठे हैं।
इस बीच वीएन डायर्स के मालिकान ने अपने अड़ि‍यल रुख को और बढ़ाते हुए कारखाना गेट पर नोटिस लगा दिया है कि जो मजदूर कल से काम पर नहीं आएंगे उन्‍हें हटाकर नयी भर्ती की  जाएगी। 
संयुक्‍त मजदूर अधिकार संघर्ष मोर्चा ने इसकी तीखी निंदा करते हुए कहा है  कि श्रम विभाग और जिला प्रशासन की शह पर ही वीएन डायर्स के मालिकान इस तरह की नंगी मनमानी कर रहे  हैं।
दूसरी ओरमजदूरों ने जिलाधिकारी कार्यालय के माध्‍यम से मुख्‍यमंत्री मायावती को ज्ञापन भेजकर चेतावनी दी है कि अगर वे तत्‍काल हस्‍तक्षेप कर उन्‍हें न्‍याय नहीं दिलाएंगी तो श्रमिक अशांति और फैलेगी। ज्ञापन की प्रमुख मांगों में कल 20 मई को फर्जी आरोप में गिरफ्तार किए गए सभी 14 मजदूर नेताओं को तुरंत रिहा किया जाए और उन पर दायर सभी फर्जी मुकदमे वापस लेना,3 मई को हुए गोलीकांड के नामजद अभियुक्‍तों अशोक जालान, अंकुर जालान तथा प्रदीप सिंह (सहजनवां क्षेत्र के माफिया सरगना) को तुरंत गिरफ्तार करना और हत्‍या के प्रयास, आदि के मुकदमे चलाकर सख्‍त से सख्‍त कार्रवाई करना, 9 मई को मजदूरों के बर्बर दमन के दोषी अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई करना, घटना की उच्‍च न्‍यायालय के कार्यरत न्‍यायाधीश से जांच कराना, गोलीकांड के घायलों को मुआवजा दिलाना, निलंबित मजदूरों को काम पर रखना और कारखानों की अवैध तालाबंदी खुलवाना शामिल हैं।

गोरखपुर मजदूर आंदोलन समर्थक नागरिक मोर्चा 
कात्‍यायनी-09936650658सत्‍यम-09910462009संदीप-08447011935

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20.5.11

गोरखपुर में मजदूरों पर लाठीचार्ज, 25 बुरी तरह घायल, मजदूर नेता सहित 73 मजदूर गिरफ्तार


गोरखपुर में मजदूरों पर लाठीचार्ज, 25 बुरी तरह घायल, मजदूर नेता सहित 73 मजदूर गिरफ्तार, तपीश का कहीं अता-पता नहीं
प्रशासन पूरी तरह मालिकान के पक्ष में-मांगों पर कोई बातचीत नहीं, भूख हड़तालियों को हटाने और आंदोलन के दमन पर तुला प्रशासन
पत्रकारों व सामाजिक कार्यकर्ताओं की जांच टीम गोरखपुर पहुंची


गोरखपुर, 20 मई। गोरखपुर में 16 मई से शुरू हुए मज़दूर सत्‍याग्रह के दूसरे चरण के तहत आज मजदूरों के शांतिपूर्ण प्रदर्शन को डीआईजी के नेतृत्‍व में आई भारी पुलिस फोर्स ने हल्‍का लाठीचार्ज करके तितर‍-बितर कर दिया। पुलिस ने मजदूर नेता तपीश मैंदोला सहित 73 मजदूरों को गिरफ्तार किया है लेकिन पुलिस तपिश एवं 30 अन्‍य मजदूरों की गिरफ्तारी नहीं दिखा रही है। तपीश को 3 मई को अंकुर उद्योग के सामने मजदूरों पर हुई गोलीबारी के मामले में फैक्‍ट्री मालिक अशोक जालान की तरफ से दर्ज करायी गई झूठी एफआईआर के आधार पर गिरफ्तार किया गया है और हत्‍या के प्रयास, बलवा आदि की धाराएं लगाई हैं। प्रशासन बेशर्मी से मालिकों के पक्ष में खड़ा नजर आ रहा है। मजदूरों ने उस घटना में अशोक जालान, उनके बेटे और हिस्‍ट्रीशीटर प्रदीप सिंह वह अन्‍य के खिलाफ नामजद रिपोर्ट दर्ज करायी थी जिस पर पुलिस-प्रशासन ने कुछ नहीं किया और अशोक जालान की ओर से दर्ज करायी झूठी रपट पर तपीश को गिरफ्तार कर लिया है। अशोक जालान ने रपट दर्ज करायी थी कि तपीश सहित अन्‍य मजदूर नेताओं ने खुद ही मजदूरों पर गोलियां चलवायी थीं, जबकि अखबारों और टीवी चैनलों के खबरों से साफ पता चलता है गोलीबारी कारखाने के अंदर से हुई थी, और इसकी पहले से तैयारी थी। मजदूर यूनियन ने आशंका जताई है कि तपीश की जान को खतरा है।
इस बीच डीएम कार्यालय पर प्रदर्शन के लिए जा रहे 50 मजदूरों पर पुलिस ने बर्बरतापूर्वक लाठीचार्ज किया, जिसमें से 25 को गंभीर चोट आई है। दोपहर में अपनी जायज मांगों के समर्थन में एक शांतिपूर्ण प्रदर्शन कर रहे लगभग 500 मजदूरों को गोरखनाथ मंदिर के करीब रोक लिया गया था। सभी 500 मजदूरों ने आपस में एक-दूसरे को लंबी रस्‍सी से बांध लिया था और उसी जगह सड़क बैठ गए थे जहां डीआईजी रेंज की अगुवाई में आए भारी पुलिस फोर्स ने उन्‍हें रोक रखा था। ताजा जानकारी के अनुसार, पुलिस ने हल्‍का लाठीचार्ज करके मजदूरों को तितर-बितर कर दिया और 73 मजदूरों को गिरफ्तार कर लिया, लेकिन उनमें से 30 गिरफ्तारी नहीं दिखाई और ना ही तपीश की गिरफ्तारी दिखाई गई है। बाद में किसी तरह लगभग 250 मजदूर टाउनहॉल पर गांधी प्रतिमा के सामने फिर धरने पर बैठ गए हैं। 

गौरतलब है, कि तपीश को किसी और स्‍थान से गिरफ्तार किया गया  -  गिरफ्तारी  के वक्‍त वह उस जुलूस-प्रदर्शन में शामिल नहीं थे। पुलिस उन्‍हें अज्ञात स्‍थान पर ले गई है और इस बात की आशंका है कि उन्‍हें नुकसान पहुंचाया जा सकता है। ज्ञात हो कि कुछ पुलिस और प्रशासनिक अधिकारी मजदूर नेताओं को लगातार ही ''गंभीर परिणाम'' भुगतने की धमकी देते रहे हैं। वे विशेषतौर पर तपीश, प्रमोद कुमार और प्रशांत को निशाना बनाते रहे हैं और उन पर ''आतंकवादी-माओवादी'' का ठप्‍पा लगा रहे हैं। दो साल पहले भी स्‍थानीय पुलिस प्रशासन ने मजदूर नेताओं को गिरफ्तार करके मारा-पीटा था, और खबरें मिली थीं कि उनके एनकाउंटर की तैयारी की जा रही है। लेकिन देशभर में विरोध-प्रदर्शन के बाद वे इस हरकत को अंजाम नहीं दे पाए और भारी जनदबाव के कारण उन्‍हें छोड़ना पड़ा था। लेकिन इस बार प्रशासन इस आंदोलन को बुरी तरह कुचलने को तैयार दिख रहा है।

दरअसल, 3 मई के गोलीकांड के अभियुक्‍तों की गिरफ़्तारी, दोषी अफसरों पर कार्रवाई, गोलीकांड और दमन की घटनाओं की न्‍यायिक जांच, घायल मज़दूरों को मुआवज़ा तथा वी.एन. डायर्स के दो कारखानों में तालाबंदी खत्‍म कर सभी 18 निष्‍कासित मज़दूरों की बहाली की मांग पर 16 मई की सुबह से भूख हड़ताल शुरू की गई थी। एक मज़दूर की मां सुशीला देवी, तीन मज़दूर बिंदेश्वर राय, सुशील श्रीवास्‍तव और महेश पाठक तथा स्‍त्री कार्यकर्ता श्‍वेता भूख हड़ताल पर बैठे हैं जिनमें से सुशीला, श्‍वेता और महेश पाठक की हालत बिगड़ गई है। 18 मई की रात प्रशासन ने महेश पाठक को उठाकर जिला अस्‍पताल में भरती करा दिया था लेकिन उन्‍होंने वहां भी अनशन जारी रखा और 19 मई की सुबह फिर से आकर भूख हड़ताल में शामिल हो गए।
इलाके के कई कारखानों के सैकड़ों मज़दूर भी दिनो-रात धरनास्‍थल पर मौजूद रह रहे हैं। इस बीच प्रशासन पूरी तरह मालिकान के पक्ष में काम करते हुए लगातार धरना और भूख हड़ताल को खत्‍म कराने की कोशिशों में लगा है लेकिन मज़दूरों की मांगों पर कोई ध्‍यान नहीं दिया जा रहा है। पहले दिन दो दौर की असफल बातचीत हुई थी जिसमें मालिकान निष्‍कासित मज़दूरों को वापस नहीं लेने पर अड़े हुए थे। उसके बाद से प्रशासन ने वार्ता की कोई कोशिश नहीं की। कल रात भी पुलिस और प्रशासन के बड़े अफसरों की अगुवाई में पुलिस बल मज़दूरों को हटाने की तैयारी में था। इसकी भनक लगते ही धरने पर बड़ी संख्‍या में बैठे सभी मज़दूरों ने लंबी-लंबी रस्सियों से एक-दूसरे को बांध लिया। जब लगा कि भारी बल प्रयोग किए बिना मज़दूरों को हटाया नहीं जा सकता तो पुलिस वापस लौट गई।
गोरखपुर में 3 मई को हुए गोलीकांड और उसके बाद मज़दूरों के बर्बर दमन के बाद भारी जनदबाव और मज़दूरों के संकल्‍पबद्ध प्रतिरोध के कारण ज़ि‍ला प्रशासन और अंकुर उद्योग के मालिकान को झुकना पड़ा था और मज़दूरों को एक आंशिक जीत हासिल हुई था। मई दिवस की रैली में भाग लेने के कारण अंकुर उद्योग से निकाले गए 18 मज़दूरों को काम पर रख लिया गया था और कारखाना 11 मई से चालू हो गया। लेकिन वी.एन. डायर्स के मालिक तालाबंदी खुलवाने और 18 मज़दूरों की बहाली के मुद्दे पर अड़े हुए हैं।
मज़दूरों ने आंदोलन के पक्ष में जनसमर्थन जुटाने के लिए आज पूरे गोरखपुर शहर में साइकिल रैली निकाली। आंदोलन के समर्थन में गीडा औद्योगिक क्षेत्र के मज़दूरों ने भी कल अपने इलाके में जुलूस निकालकर प्रदर्शन किया था। बरगदवा के विभिन्‍न कारखानों के मज़दूरों का एक बड़ा प्रदर्शन करने की तैयारी की जा रही है।
इस बीच पत्रकारों और सामाजिक कार्यकर्ताओं की एक जांच टीम गोरखपुर में मज़दूरों पर हुई फायरिंग, दमन और श्रम कानूनों के उल्‍लंघन के आरोपों की जांच करने कल गोरखपुर पहुंची। जांच टीम के सदस्‍य कल बरगदवा में धरनास्‍थल पर भी गए और मज़दूरों से बातचीत की।
पिछले 2 सप्‍ताह से भी अधिक समय से जारी मज़दूरों के आंदोलन के प्रति प्रशासन के लगातार दमनात्‍मक रवैये और उत्तर प्रदेश सरकार की उपेक्षा की कड़ी निंदा फिर तेज़ हो गई है।

म आप सबसे अपील करते हैं कि फैक्‍ट्री मालिक और उसके गुण्‍डों को गिरफ्तार करने के लिए राज्‍य और ज़िला प्रशासन पर दबाव डालें और मज़दूर नेताओं को फर्जी मामलों में फंसाने से उन्‍हें रोकें। संबंधित अधिकारियों के फोन/फैक्‍स नंबरों और ईमेल आईडी की एक सूची नीचे दी गई है।


आप इन नंबरों पर फोन-फैक्‍स कर सकते हैं:


1-Divisional Commissioner
2333076/2335238 (off)
2336022 (Res)
2338817 (Fax) 
9454417500
 
2 - District Magistrate                              
Office of the District Magistrate
Collectrate, Gorakhpur - 273001
0551 - 2334569 (Fax) 
  
3- City Magistrate: J.K. Singh
Mob: 9454416213
     
4- Dy Inspector General of Police         
Cantt., Gorakhpur:
09454400207
0551 - 2201187 / 2333442
 
5- DLC, S.P. Shukla 
Labour Office, Civil Lines, Gorakhpur-273001
Mob: 09453043030
 
6-  Km. Mayawati, Chief Minister
Fifth Floor, Secretariat Annexe
Lucknow-226001 
0522 - 2235733, 2239234 (Fax)  
2236181  2239296  2215501 (Phone: (Office)  
2236838 2236985 Phone: (Res)    
 
7- Shri Badshah Singh, Labour Minister,  :   0522 - 2238925 (Fax)
 
8- Principal Secretary, Labour  0522 - 2237831 (Fax)
Department of Labour Secretariat Lucknow - 226001
 
9- Mr. Anand Kumar Singh
joint secretary
9415159087

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14.5.11

गोरखपुर में मज़दूरों का संघर्ष जारी

दो कारखानों में अप्रैल से जारी तालाबंदी और 18 मज़दूरों के निष्‍कासन के विरोध में टाउन हाल पर क्रमिक अनशन जारी

प्रशासन और मालिकान दबाव में लेकिन अड़ि‍यल रवैया बरकरार

गोरखपुर में 3 मई को हुए गोलीकांड और उसके बाद मज़दूरों के बर्बर दमन के बाद भारी जनदबाव और मज़दूरों के संकल्‍पबद्ध प्रतिरोध के कारण ज़ि‍ला प्रशासन और अंकुर उद्योग के मालिकान को झुकना पड़ा था और मज़दूरों को एक आंशिक जीत हासिल हुई था। मई दिवस की रैली में भाग लेने के कारण अंकुर उद्योग से निकाले गए 18 मज़दूरों को काम पर रख लिया गया है और कारखाना 11 मई से चालू हो गया है। लेकिन बरगदवा इलाके में ही वी.एन. डायर्स के दो कारखानों में अप्रैल से चली आ रही अवैध तालाबंदी खुलवाने और 18 मज़दूरों की बहाली के मुद्दे पर मालिक अब भी अड़े हुए हैं। प्रशासन की ओर से भी इस विवाद के हल के लिए वार्ता कराने की कोई पहल अब तक नहीं हुई है। स्‍पष्‍ट है कि वे मज़दूरों को थकाकर आंदोलन को तोड़ना चाहते हैं। लेकिन मज़दूर भी लंबी लड़ाई के लिए कमर कसे हुए हैं। पिछले दो वर्षों के दौरान बरगदवा के मज़दूरों में पैदा हुई एकजुटता की भावना का ही असर है कि 9 मई से ही टाउनहाल पर जारी क्रमिक अनशन में वी.एन. डायर्स के अलावा अन्‍य कारखानों के मज़दूर भी आकर भागीदारी कर रहे हैं।
मज़दूरों की कुछ मांगें मानी जाने के बाद 9 मई को मज़दूर सत्‍याग्रह तो स्‍थगित कर दिया गया था लेकिन  क्रमिक अनशन तभी से जारी है। इसकी मांगों में गोलीकांड के अभियुक्‍तों की गिरफ़्तारी, दोषी अफसरों पर कार्रवाई, गोलीकांड और दमन की घटनाओं की न्‍यायिक जांच कराना, घायल मज़दूरों को मुआवज़ा तथा वी.एन. डायर्स में तालाबंदी खत्‍म कर सभी निष्‍कासित-निलंबित मज़दूरों की बहाली शामिल है। दो दिन, पुलिस ने अनशन पर बैठे क्रमश: 5 और 12 मज़दूरों को गिरफ़्तार भी कर लिया लेकिन मज़दूरों के विरोध के बाद उन्‍हें रिहा करना पड़ा।
इस बीच गोरखपुर के विभिन्‍न जनवादी संगठन और ट्रेड यूनियनें मिलकर मज़दूरों के आंदोलन के समर्थन में 16 मई को संयुक्‍त प्रदर्शन की तैयारी कर रहे हैं। गीडा औद्योगिक क्षेत्र के कई कारखानों के मज़दूरों ने भी आंदोलन को समर्थन देने की घोषणा की है। जांच की मांग को लेकर इलाहाबाद उच्‍च न्‍यायालय और गोरखपुर की अदालत में याचिका दायर करने की भी तैयारी कर ली गई है।
इस बीच देश भर से गोरखपुर में मज़दूरों के दमन की निंदा और उनके आंदोलन के समर्थन का सिलसिला जारी है।

Citizen's Front in Support of Gorakhpur Worker's Movement
Contacts: 9936650658 (Katyayani), 9910462009 (Satyam), 8447011935 (Sandeep)

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13.5.11

गोरखपुर में क्रमिक भूख हड़ताल पर बैठे 12 मजदूरों को पुलिस ने गिरफ्तार किया

गोरखपुर, 12 मई। दोषियों को गिरफ्तार करने, घटना की न्‍यायिक जांच कराने और वी.एन.डायर्स के कारखाने को चालू कराने की मांग को लेकर क्रमिक भूख हड़ताल पर बैठे 12 मजदूरों को आज पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया।
दो दिन पहले ही, भारी जनदबाव और मजदूरों की एकजुटता के कारण अशोक जालान ने कारखाना चालू करने, निलंबित मजदूरों को काम पर रखने और घायल मजदूरों को मुआवजा देने की मांग मानी थी। इसके बाद दिनभर पुलिस के दमन का मुकाबला करने के बावजूद मजदूर सत्‍याग्रह पर बैठे मजदूरों ने धरना खत्‍म कर दिया था। लेकिन उसी समय बाकी मांगों को लेकर क्रमिक भूख हड़ताल शुरू करने की घोषणा की गई थी। उसी के तहत आज भूख हड़ताल पर बैठे मजदूरों को पुलिस ने दोपहर बाद गिरफ्तार कर लिया।

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11.5.11

मज़दूरों के जुझारू संघर्ष और देशव्यापी जनदबाव से गोरखपुर में मजदूर आन्दोलन को मिली आंशिक जीत

अंकुर उद्योग से निकाले गए सभी 18 मज़दूर काम पर लिए गए, कारखाना कल से शुरू होगा
गोलीकांड के मुख्य अभियुक्तों की गिरफ्तारी, घायल मजदूरों को सरकार से मुआवजा दिलाने, फर्जी मुकदमे हटाने तथा न्यायिक जांच की मांग को लेकर आंदोलन जारी रहेगा
मांगें नहीं मानने पर शुरू हो जाएगा ‘मज़दूर सत्याग्रह’ का दूसरा चरण


पुलिस-प्रशासन के भारी दमन के बावजूद गोरखपुर के मजदूरों के जुझारू संघर्ष और एक सप्ताह से जारी दमन-उत्पीड़न की देशव्यापी निन्दा तथा व्यापक जनदबाव ने प्रशासन और मालिकान को कदम पीछे खींचने पर मजबूर कर दिया और वहां मजदूर आन्दोलन को आंशिक जीत हासिल हुई है।

कल ‘मज़दूर सत्याग्रह’ के लिए शान्तिपूर्ण ढंग से आयुक्त कार्यालय पर जा रहे मजदूरों पर शहर में जगह-जगह हुए लाठीचार्ज, गिरफ्तारी, सार्वजनिक वाहनों तक से उतारकर मजदूरों की पिटाई और महिला मजदूरों के साथ पुलिस के दुव्यर्वहार की चैतरफा भत्र्सना और सैकड़ों मजदूरों के टाउनहाल पर भूख हड़ताल शुरू कर देने के बाद प्रशासन भारी दबाव में आ गया था। अधिकारियों ने देर शाम हिरासत में लिए गए सभी मजदूर नेताओं और मजदूरों को रिहा कर दिया तथा मालिकों को वार्ता के लिए बुलाया था। कुछ मांगों पर मालिक की सहमति तथा आज औपचारिक वार्ता तय होने के बाद कल रात अधिकांश मजदूरों द्वारा भूख हड़ताल स्थगित कर धरना हटा लिया गया था लेकिन करीब 25 मजदूरों का जत्था भूख हड़ताल जारी रखे था।

आज उपश्रमायुक्त की मौजूदगी में मालिकों तथा मजदूरों के प्रतिनिधियों के बीच हुई वार्ता के बाद अंकुर उद्योग से निकाले गए सभी 18 मज़दूरों को काम पर वापस लेने तथा कारखाना कल से शुरू करने पर मालिक पक्ष सहमत हो गया। हालांकि वी.एन. डायर्स के दो कारखानों से निकाले गए 18 मज़दूरों को बहाल करने के सवाल पर अब भी गतिरोध बना हुआ है।

आन्दोलन का संचालन कर रहे संयुक्त मज़दूर अधिकार संघर्ष मोर्चा के अनुसार गोलीकांड के मुख्य अभियुक्तों की गिरफ्तारी तथा अभियुक्तों को बचाने वाले अधिकारियों के विरुद्ध कार्रवाई, घायल मजदूरों को सरकार से मुआवजा दिलाने, मजदूरों पर थोपे गए सभी फर्जी मुकदमे हटाने, तथा गोलीकांड और 9 मई को ‘मज़दूर सत्याग्रह’ पर हुए बर्बर दमन की न्यायिक जांच की मांग को लेकर आन्दोलन जारी रहेगा। अगर ये मांगें नहीं मानी गयीं तो जल्दी ही ‘मज़दूर सत्याग्रह’ का दूसरा चरण शुरू किया जाएगा जो पहले से भी अधिक व्यापक होगा।

कल ‘मज़दूर सत्याग्रह’ के बर्बर दमन की देश-विदेश में कठोर भत्र्सना हुई है। देश भर से न्यायविदों, बुद्धिजीवियों, सामाजिक कार्यकर्ताओं और मजदूर आंदोलन से जुड़े लोगों ने उत्तर प्रदेश की मुख्यमंत्री, राज्यपाल, वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारियों तथा केन्द्र सरकार को सैकड़ों की संख्या में फैक्स, ईमेल, फोन तथा ज्ञापन भेजकर अपना विरोध दर्ज कराया है तथा दमन चक्र तत्काल रोकने, घटना की तुरंत न्यायिक जांच कराने, मजदूरों की जायज मांगे मानने और दोषियों की खिलाफ त्वरित कार्रवाई करने की मांग की है। पीयूसीएल एवं पीयूडीआर की ओर से जांच टीमें गोरखपुर भेजने की घोषणा की गयी है और वरिष्ठ पत्रकारों तथा सामाजिक कार्यकर्ताओं की कुछ स्वतंत्र जांच टीमें भी जल्दी ही तथ्यसंग्रह के लिए गोरखपुर जाएंगी।

सरकारी दमन तथा मालिक-प्रशासन-सांप्रदायिक ताकतों के गंठजोड़ द्वारा जारी अंधेरगर्दी के विरुद्ध भारी जन आक्रोश और व्यापक जनदबाव के कारण यह छोटी-सी जीत मिली है लेकिन गोरखपुर के मजदूरों के सामने अभी बहुत कठिन लड़ाई है और देशभर के इंसाफपसन्द नागरिकों तथा किसी भी मोर्चे पर काम करने वाले कार्यकर्ताओं को उनका साथ देना होगा। दमन-उत्पीड़न के तात्कालिक मसले पर मजूदरों को थोड़ी राहत मिली है लेकिन जिन बुनियादी मांगों को लेकर गोरखपुर में मजदूरों ने आवाज उठाई थी वे आज भी यथावत हैं। वहां के किसी भी कारखाने में कोई भी श्रम कानून लागू नहीं होता। न्यूनतम मजदूरी, काम के घंटे, जबरन ओवरटाइम, जाॅब कार्ड, ईएसआई जैसी बुनियादी सुविधाओं से भी मजदूर वंचित हैं। श्रम विभाग सब कुछ जानते हुए भी कुछ नहीं करता। जब तक इन मांगों पर ध्यान नहीं दिया जाएगा तब तक बीच-बीच में मजदूर असन्तोष का ज्वार फूटता ही रहेगा।

संयुक्त मज़दूर अधिकार संघर्ष मोर्चा ने यह भी चेतावनी दी है कि अगर मालिकों ने फिर से पहले की तरह वायदाखिलाफी और छलकपट से मजदूरों को उनके अधिकार से वंचित करने की कोशिश की या अगुआ मजदूरों को किसी भी तरह से प्रताडि़त करने की कोशिश की तो इसके नतीजे भुगतने के लिए उन्हें तैयार रहना होगा।

मोर्चा ने मजदूर आन्दोलन का भरपूर साथ देने तथा प्रशासन पर दबाव बनाने में मदद करने वाले न्यायविदों, पत्रकारों, बुद्धिजीवियों व सामाजिक कार्यकर्ताओं को धन्यवाद देते हुए गोरखपुर के मजदूरों को न्याय दिलाने के संघर्ष में सभी से आगे भी सहयोग की अपील की है।

कृते, 

गोरखपुर मजदूर आन्दोलन समर्थक नागरिक मोर्चा


संपर्क   9936650658 (कात्‍यायनी)  9910462009 (सत्‍यम) 8447011935 (संदीप)
ईमेल satyamvarma@gmail.com / sandeep.samwad@gmail.com

उपलब्‍ध तस्‍वीरें -












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9.5.11

About 100 workers including women workers arrested, after second round of lathicharge in GORAKHPUR



The brutal crackdown on workers continues in Gorakhpur. The workers peacefully agitating for justice in the case of firing on workers were lathicharged and attacked with water cannons when they tried to proceed to the commissioner’s office.

The workers dispersed and tried to get to the collectorate in small groups but the police were searching on all routes and stopped a large number of workers en route.

Still at least 200 workers managed to reached the collectorate where they were attacked by the PAC and at least 100 were taken away by them including 20-25 women. One of them is workers' leader who was beaten up by police and administration in 2009, among others, during workers movement. He had a heart problem but after request by other people arrested they beat him up brutally. Today one college student has also been arrested, her only crime was to stand by the workers' demand.

The workers are trying to regroup after every attack and are slowly but resolutely proceeding towards the commissioner's office. The workers have decided to stage a sit-in at the commissioner's office till their demands are met. The situation is tense and the adamant attitude of the officials may may lead to further violence from the administration.

We will try to keep you updated of any new developments. Please call on these numbers and ask the Gorakhpur officials to stop the repression immediately and listen to workers' demands:
UPDATE: 
About 100 workers including women workers arrested, after second round of lathicharge.

Div. Commissioner, Gkp, Mr K. Ravindra Nair: 09454400207
District Masgistrate, AK Shukla: 09454417544
DIG: 09454417500
City Magistrate, JK Singh: 09454416213

Please raise your voice against repression, lathicharge and arrests. These are the email ids of Chief Minister, Governer, Commissioner, District Magistrate, ADM City and other officials: hgovup@up.nic.in, cmup@nic.in ; commgor@up.nic.in; digrgkr@up.nic.in ; dmgor@nic.in ; laborweb@nic.in ; covdnhrc@nic.in ; sgnhrc@nic.in ; secup.labor@up.nic.in ;cprabhat@ias.nic.in ; ssecup.labour@up.nic.in ; uphrclko@yahoo.co.in

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बिगुल के बारे में

बिगुल पुस्तिकाएं
1. कम्युनिस्ट पार्टी का संगठन और उसका ढाँचा -- लेनिन

2. मकड़ा और मक्खी -- विल्हेल्म लीब्कनेख़्त

3. ट्रेडयूनियन काम के जनवादी तरीके -- सेर्गेई रोस्तोवस्की

4. मई दिवस का इतिहास -- अलेक्ज़ैण्डर ट्रैक्टनबर्ग

5. पेरिस कम्यून की अमर कहानी

6. बुझी नहीं है अक्टूबर क्रान्ति की मशाल

7. जंगलनामा : एक राजनीतिक समीक्षा -- डॉ. दर्शन खेड़ी

8. लाभकारी मूल्य, लागत मूल्य, मध्यम किसान और छोटे पैमाने के माल उत्पादन के बारे में मार्क्सवादी दृष्टिकोण : एक बहस

9. संशोधनवाद के बारे में

10. शिकागो के शहीद मज़दूर नेताओं की कहानी -- हावर्ड फास्ट

11. मज़दूर आन्दोलन में नयी शुरुआत के लिए

12. मज़दूर नायक, क्रान्तिकारी योद्धा

13. चोर, भ्रष् और विलासी नेताशाही

14. बोलते आंकड़े चीखती सच्चाइयां


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