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15.6.11

मारुति सुजुकी के मजदूरों के समर्थन में सभा कर रहे कार्यकर्ताओं पर कंपनी के सिक्योरिटी गार्डों द्वारा हमले की कड़ी निन्दा


गुंडों और ग्रुप फोर के सिक्योरिटी गार्डों ने कार्यकर्ताओं के साथ कई जगह मारपीट की, पर्चे छीने, अपहरण करने की कोशिश

नई दिल्ली, 15 जून। मानेसर स्थित मारुति सुजुकी के कारखाने में जारी मज़दूर आन्दोलन के समर्थन में मजदूरों के बीच सभाएं कर रहे बिगुल मजदूर दस्ता के कार्यकर्ताओं पर कल शाम और आज सुबहगुड़गांव तथा मानेसर में कई स्थानों पर मारुति सुजुकी के प्राइवेट सिक्योरिटी गार्डों और गुंडों ने हमला किया और मारपीट की।
घटना का ब्योरा देते हुए बिगुल मजदूर दस्ता के रूपेश कुमार ने बताया कि वे लोग मजदूर आन्दोलन के समर्थन में गुड़गांव तथा मानेसर में मजदूरों के बीच जगह-जगह सभाएं कर रहे हैं तथा पर्चे बांट रहे हैं। इसी क्रम में कल शाम करीब 7.30 बजे जब वे कार्यकर्ताओं की टोली के साथ मानेसर स्थित मारुति कारखाने के निकट अलियर गांव में मजदूरों की सभा कर रहे थे तो मोटरसाइकिलों और जीप में सवार होकर पहुंचे एक दर्जन से अधिक हथियारबन्द लोगों ने अचानक उन पर हमला कर दिया। इनमें मारुति सुजुकी कंपनी की सिक्योरिटी का काम संभाल रहे ग्रुप फोर कंपनी के वर्दीधारी गार्ड भी शामिल थे। इन लोगों ने कार्यकर्ताओं के साथ गाली-गलौज और मारपीट की तथा वहां उपस्थित करीब 250 मजदूरों को हथियार दिखाकर आतंकित करके भगा दिया। वे कह रहे थे कि यह मारुति का इलाका है और यहां किसी को भी मारुति के मैनेजमेंट के खिलाफ बोलने की इजाजत नहीं दी जाएगी।
आज सुबह गुड़गांव स्थित मारुति के कारखाने के निकट मौलाहेड़ा गांव तथा सेक्टर 22 में भी मारुति सुजुकी के प्राइवेट सिक्योरिटी गार्डों ने कार्यकर्ताओं की टोली पर हमला किया। इस इलाके में बड़ी संख्या में मारुति के कर्मचारी रहते हैं। दो गाड़ियों में पहुंचे हथियारबन्द गार्डों ने 8-9 कार्यकर्ताओं के साथ मारपीट की और उनके पास मौजूद 2000 से अधिक पर्चे छीन लिये। वे दो कार्यकर्ताओं को जबरन गाड़ी में बैठाकर ले जाने की भी कोशिश कर रहे थे लेकिन अन्य कार्यकर्ताओं तथा मजदूरों के प्रतिरोध करने पर उन्हें छोड़ दिया और हथियार लहराते हुए धमकियां देते हुए चले गए। इनमें से एक सिक्योरिटीगार्ड का नाम राजकुमार और फोन नंबर 9891982269 है।
बिगुल मज़दूर दस्ता, दिल्ली मेट्रो कामगार यूनियन तथा मारुति सुजुकी के मजदूर आंदोलन के समर्थन में नागरिक मोर्चा ने इस घटना की कठोर निंदा करते हुए कहा है कि हरियाणा सरकार की खुली शह पर सिक्योरिटी गार्ड की ड्रेस में मारुति के भाड़े के गुण्डे मज़दूरों का समर्थन करने वालों के साथ भी अब खुलेआम गुण्डागर्दी कर रहे हैं। ऐसा लगता है जैसे गुड़गाँव में सरकार का नहीं मारुति का राज चल रहा है, पुलिस और प्रशासन का का काम मारुति के सिक्योरिटी गार्डों ने हथिया लिया है।
उन्होंने कहा कि इस तरह की घटिया हरकतें करके मारुति सुजुकी कम्पनी अपने ही पैरों पर कुल्हाड़ी मारने का काम कर रही है। अगर उसे लगता है कि डरा-धमकाकर वह मज़दूरों की आवाज़ बन्द करने में कामयाब हो जायेगी तो वह बहुत बड़ी गलतफहमी की शिकार है। कम्पनी की गुण्डागर्दी और आन्दोलन तोड़ने के घटिया हथकण्डों का सारे देश और दुनियाभर में भण्डाफोड़ किया जाएगा। हाल ही में गठितमारुति सुजुकी के मजदूर आंदोलन के समर्थन में नागरिक मोर्चा ने देशभर के नागरिक अधिकार कर्मियों, बुद्धिजीवियों, न्यायविदों, पत्रकारों और सामाजिक कार्यकर्ताओं से अपनी न्यायसंगत मांगों के लिए शांतिपूर्ण आंदोलन कर रहे मज़दूरों का साथ देने की अपील की है।
मोर्चा ने कहा है कि मैनेजमेंट मजदूरों को थकाकर, डरा-धमकाकर और घटिया चालों से उनका मनोबल तोड़कर आंदोलन को खत्म कराने की कोशिश कर रहा है। ठेका मजदूरों को लगातार अपना हिसाब लेकर चले जाने के लिए बाध्य किया जा रहा है। आंदोलन खत्म कराने के लिए मजदूरों के परिवारों तक पर दबाव डाला जा रहा है। इसीलिए वार्ताओं के नाटक को जानबूझकर लंबा खींचा जा रहा है जबकि मारुतिसुजकी किसी भी मांग पर समझौते के लिए तैयार नहीं हैं।
मोर्चा ने केंद्रीय यूनियनों की भूमिका की आलोचना करते हुए कहा है कि कुछ यूनियनें शुरू से इस आंदोलन को हड़प लेने और नवगठित स्वतंत्र यूनियन को ‘‘अपनी’’ यूनियन बताने में लगी हुई हैं मगर सच्चाई यह है कि पिछले डेढ़ सप्ताह से जारी इस जुझारू संघर्ष के समर्थन में अखबारी बयानबाजी के अलावा उन्होंने कुछ भी नहीं किया है।
गुड़गांव और उसके आसपास फैले विशाल औद्योगिक क्षेत्र में स्थित सैकड़ों कारखानों में कम से कम 20 लाख मजदूर काम करते हैं। अकेले आटोमोबाइल उद्योग की इकाइयों में करीब 10 लाख मज़दूरकाम करते हैं। अत्याधुनिक कारखानों में दुनिया भर की कंपनियों के लिए आटो पार्ट्स बनाने वाले इन मजदूरों की कार्यस्थितियां बहुत बुरी हैं। इनमें से 90 प्रतिशत से भी अधिक ठेका मजदूर हैं जो 4000-5000रुपये महीने पर 10-10, 12-12 घंटे काम करते हैं। उनके काम की रफ्तार और काम बोझ बेहद अधिक होता है और लगातार सुपरवाइजरों तथा सिक्योरिटी वालों की गाली-गलौज और मारपीट तक सहनी पड़ती है। अधिकांश कारखानों में यूनियन नहीं है और जहां है भी वहां अगुआ मजदूरों को तरह-तरह से प्रताड़ित करने और निकालने के हथकंडे जारी रहते हैं। स्थापित बड़ी यूनियनें जुबानी जमाखर्च से ज्यादा कुछ नहींकरतीं और बहुत से मामलों में तो मजदूरों के साथ दगाबाजी कर चुकी हैं। ऐसे में यूनियन बनाने के अधिकार का मसला पूरे गुड़गांव इलाके का एक आम और सर्वव्यापी मुद्दा है।
बिगुल मजदूर दस्ता की ओर से बांटे जा रहे पर्चे में कहा गया है कि गुड़गाँव ही नहीं, सारे देश के मज़दूरों से आज यूनियन बनाने का हक छीना जा रहा है ताकि मज़दूर अपने शोषण और लूट केख़िलाफ एक होकर आवाज़ भी न उठा सकें। इसीलिए मारुति के मज़दूरों की लड़ाई हर मज़दूर के हक की लड़ाई है। अगर इस आन्दोलन को कुचल दिया गया तो गुड़गाँव की तमाम फैक्टरियों में मालिकान पहले से भी ज़्यादा हमलावर हो जायेंगे और मज़दूरों की आवाज़ को और भी बुरी तरह दबाया जायेगा। अगर मज़दूर इस लड़ाई में कामयाब होते हैं तो पूरे इलाके में यूनियन बनाने के संघर्ष को ताकत मिलेगी। पर्चे में अन्य मजदूरों और नागरिकों का आह्वान किया गया है कि मजदूरों की न्यायसंगत मांगें मनवाने के लिए वे भी सरकार पर दबाव बनाएं
-  मारुति के मजदूर आन्दोलन के समर्थन में नागरिक मोर्चा, दिल्ली

सन्दीप, फोनः 8447011935, ईमेलः sandeep.samwad@gmail.com
- रूपेश कुमार, बिगुल मज़दूर दस्ता, बादली, दिल्ली
फोनः 9213639072, ईमेलः bigul@rediffmail.com
- अजय स्वामी, दिल्ली मेट्रो कामगार यूनियन
फोनः 9540436262, ईमेलः ajaynbs@gmail.com

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1.6.11

गोरखपुर के मज़दूरों के नाम मुंबई के गोलीबार निवासियों का संदेश


मुंबई, 30 मई। खार (पूर्व) में बस्तियों-सोसायटी-झुग्गियों को ढहाने के प्रशासन के इरादे आखिरकार खुद ही धूल में मिल गए। वहां के बाशिंदों की एकजुटता और देशभर से उन्‍हें मिले समर्थन तथा सामाजिक कार्यकर्ता मेधा पाटकर एवं उनके साथियों की भूख हड़ताल ने माफिया-बिल्‍डर-प्रशासन के गठजोड़ को पीछे हटने को मजबूर कर दिया।
बीती 28 मई की दोपहर को उस समय पूरा इलाका ‘बिल्‍डरों की जागीर नहीं, मुंबई हमारी है’, ‘घर हमारे हक़ का-नहीं किसी के बाप का’, ‘इंक़लाब जिंदाबाद’, ‘आवाज दो, हम एक हैं…’, ‘लड़ेंगे लड़ेंगे-जीतेंगे जीतेंगे’ के नारों से गूंज उठा जब मुख्‍यमंत्री के आदेश पर मुख्‍य सचिव ने धरनास्‍थल पर आकर इस संबंध में अधिसूचना जारी की। अब सिविल सोसायटी के प्रतिनिधियों, शासन-प्रशासन की दो कमेटियां पूरे मामले की जांच करेंगी और कोई निष्‍कर्ष आने तक वहां बुलडोजर नहीं चलेंगे। एक कमेटी गणेश कृपा सोसायटी और दूसरी कमेटी बाकी 15 बस्तियों, झुग्गियों, कालोनियों के मामले की पूरी जांच करेगी।

ज्ञात हो कि पिछले दिनों कलेक्टर ने बुलडोजर चलवा कर यहां के  करीब 25 घर ढहा दिए थे।। यह कार्रवाई मुख्यमंत्री की ओर से गोलीबार नगर में तोड़फोड़ की कार्रवाई न करने के आदेश के बावजूद हुई थी। सीएम ने इस मामले में रिडिवेलपमेंट करने वाले बिल्डर शिवालिक वेंचर की ओर से किए जा रहे कथित भ्रष्टाचार के जांच का आदेश भी दिया था। इसके बावजूद स्‍थानीय प्रशासन-माफिया-बिल्‍डरों का गठजोड़ यहां की बस्तियों-सोसायटियों-झुग्गियों को नेस्‍तनाबूद करने पर जैसे आमादा ही था।
गोरखपुर मजदूर आंदोलन की ओर से चार दिन पहले गोलीबार के निवासियों के नाम लिखित और रिकॉर्डेड संदेश जारी किया गया था। इस संदेश में संयुक्‍त मजदूर अधिकार संघर्ष मोर्चा केप्रमोद कुमार ने वहां आंदोलनरत् अपने मेहनतकश साथियों से कहा था कि वे एकजुट रहेंगे तो जीत निश्चित ही उनकी होगी। गोरखपुर में मालिक-प्रशासन-गुण्‍डा–नेता गठजोड़ के बारे में बताते हुए उन्‍होंने गोलीबार के निवासियों को गोरखपुर के मजदूर आंदोलन की ओर से समर्थन दिया था।
गोलीबार के निवासियों ने जीत के बाद गोरखपुर मजदूर आंदोलन के लिए अपना संदेश भेजा है और अपना समर्थन जाहिर किया है। वहां से इस आंदोलन की एक नेता प्रेरणा गायकवाड़ ने अपने संदेश में कहा है, ”हम तो अपनी लड़ाई जीत गए हैं, अब आपको अपनी लड़ाई जारी रखनी है। आप लड़ाई जारी रखें हम आपके साथ हैं।”
गणेश कृपा सोसायटी के देवान और फ़ैज़ा ने भी गोरखपुर मजदूर आंदोलन के नाम अपने संदेश में कहा है कि ”गणेश कृपा सोसायटी के निवासी गोरखपुर के भ्रष्‍ट अधिकारियों द्वारा मजदूर आंदोलन के दमन की कड़ी निंदा करते हैं और आपके आंदोलन को पूरा समर्थन देते हैं। आप लड़ाई जारी रखिए, जीत आपकी ही होगी।”
संदेश सुनने के लिए नीचे दिए बटन पर क्लिक करें।










  

आंदोलन संबंधी खबरों के लिए यह ब्‍लॉग देखें: http://khareastandolan.wordpress.com

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गोरखपुर मज़दूर आन्दोलन के दमन के विरोध में कोलकाता में सैकड़ों मज़दूरों का प्रदर्शन


एन.ए.पी.एम. के सन्दीप पाण्डेय के नेतृत्व में जांच दल ने गोरखपुर के कारखानों में श्रम कानूनों के उल्लंघन पर चिन्ता जताई

वयोवृद्ध सामाजिक कर्मी कमला पाण्डेय ने मुख्यमंत्री मायावती को फिर पत्र भेजकर मज़दूरों का दमन-उत्‍पीड़न रोकने की मांग की

नई दिल्‍ली, 29 मई। गोरखपुर में मज़दूरों के दमन और उत्तर प्रदेश सरकार की मजदूर विरोधी नीतियों के विरोध में कोलकाता में सैकड़ों मज़दूरों ने प्रदर्शन किया तथा राज्यपाल के माध्यम से मुख्यमंत्री मायावती को ज्ञापन भेजा। श्रमिक संग्राम समिति के बैनर तले कोलकाता इलेक्ट्रिक सप्लाई कारपोरेशन, हिन्दुस्तान इंजीनियरिंग एंड इंडस्ट्रीज लि., भारत बैटरी, कोलकाता जूट मिल, सूरा जूट मिल, अमेरिकन रेफ्रिजरेटर्स कं. सहित विभिन्न कारखानों के 500 से अधिक मज़दूरों ने कल कोलकाता के प्रशासकीय केंद्र एस्प्लेनेड में विरोध प्रदर्शन किया। दिल्ली, पंजाब तथा महाराष्ट्र में भी कुछ संगठन इस मुद्दे को लेकर प्रदर्शन की तैयारी कर रहे हैं।
कोलकाता में प्रदर्शन के बाद तीन सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल पश्चिम बंगाल के राज्यपाल एम.के. नारायणन से मिला और गोरखपुर में आन्दोलनरत मज़दूरों की मांगों के समर्थन में तथा उत्तर प्रदेश सरकार की मजदूर विरोधी नीतियों के विरोध में एक ज्ञापन उन्हें सौंपा। प्रतिनिधिमंडल ने राज्यपाल से आग्रह किया कि वे पश्चिम बंगाल के मज़दूरों एवं बुद्धिजीवियों की भावनाओं से उ.प्र. की मुख्यमंत्री सुश्री मायावती को अवगत कराएं।
प्रदर्शन के दौरान सभा में वक्ताओं ने कहा कि अपने अधिकारों के लगातार हनन के खिलाफ मज़दूरों में नई चेतना जाग रही है और वे समझौतापरस्त पुरानी ट्रेड यूनियनों से अलग नए सिरे से जगह-जगह संगठित होकर संघर्ष कर रहे हैं। शासक वर्ग इस नई प्रवृत्ति को शुरू में ही कुचल देना चाहते हैं। गोरखपुर में पिछले एक माह से संघर्षरत मज़दूरों पर मालिकान और प्रशासन के हमले इसी का उदाहरण है। वक्ताओं ने ऐसे सभी संघर्षों के अग्रणी मज़दूरों का देशव्यापी मंच बनाने की जरूरत पर बल दिया जिससे कि शासकों-शोषकों के हमलों का एक होकर सामना किया जा सके। सभा को विभिन्न कारखाना यूनियनों के नेताओं के अतिरिक्त कोलकाता से प्रकाशित अखबार ‘श्रमिक इश्तेहार’ के संपादक तुषार भट्टाचार्य तथा गाजियाबाद से प्रकाशित पाक्षिक ‘हमारी सोच’ के संपादक सुभाषीश डी. शर्मा ने भी संबोधित किया।
इस बीच मैगसेसे पुरस्कार से सम्मानित प्रसिद्ध सामाजिक कर्मी सन्दीप पाण्डेय के नेतृत्व में जन आन्दोलनों के राष्ट्रीय समन्वय (एन.ए.पी.एम.), पी.यू.सी.एल. तथा पीपुल्स यूनियन फार ह्यूमन राइट्स (पी.यू.एच.आर.) की एक संयुक्त जांच टीम ने कल गोरखपुर का दौरा किया और 3 मई के गोलीकांड तथा लगातार जारी श्रमिक अशान्ति के कारणों की जांच-पड़ताल की। जांच टीम ने गोलीकांड के बाद से आज तक अस्पताल में भरती घायल मज़दूर पप्पू जैसवाल से मुलाकात की और फिर अंकुर उद्योग के मज़दूरों से मिलने बरगदवां पहुंची जहां वी.एन. डायर्स के दो तालाबंद कारखानों के मज़दूर भी उनसे मिलने पहुंच गए।
मज़दूरों ने जांच दल को फैक्ट्रियों में हो रहे श्रम कानूनों के उल्लंघन और काम की परिस्थितियों के बारे में विस्तार से बताया। टीम ने इस बात पर हैरत जाहिर की कि मजदूरों के घायल होने की स्थिति में कारखानों के अंदर प्राथमिक उपचार तक की व्यवस्था नहीं है। कल ही अंकुर उद्योग में एक मज़दूर की उंगली कट गई तो उसे पट्टी बंधवाने के लिए भी बाहर ले जाना पड़ा। 3 मई की घटना में भी जिन मज़दूरों को गोली या छर्रे लगे उन्हें मालिक या प्रशासन की ओर से कोई मदद नहीं मिली। जांच दल ने बाद में गोरखपुर के जिलाधिकारी से भी मुलाकात की। जांच दल में श्री संदीप पाण्डेय के अलावा पी.यू.सी.एल. के फतेहबहादुर सिंह एवं राजीव यादव और पी.यू.एच.आर. के मनोज सिंह शामिल थे। जांच दल 3 जून को लखनऊ में अपनी विस्‍तृत रिपोर्ट जारी करेगा लेकिन गोरखपुर से जारी जांच दल की विज्ञप्ति में गोलीकांड और मज़दूरों पर लाठीचार्ज की न्‍यायिक जांच कराने तथा वी.एन. डायर्स में तालाबंदी समाप्‍त कराकर निकाले गए मज़दूरों को काम पर लेने की मांग की गई है।
इधर लखनऊ में वयोवृद्ध पूर्व शिक्षक नेता एवं अनुराग ट्रस्ट की अध्यक्ष कमला पाण्डेय ने आज मुख्यमंत्री मायावती के नाम एक और पत्र भेजकर कहा है कि गोरखपुर के मज़दूरों पर लगातार जारी दमन-उत्पीड़न को यदि बंद नहीं किया गया तो वे स्वयं गोरखपुर पहुंचकर आमरण अनशन शुरू कर देंगी। उन्होंने कहा कि सत्ता के दम्भ में सुश्री मायावती शायद यह भूल गई हैं कि वे प्रदेश के लाखों मज़दूरों की भी प्रतिनिधि हैं। मज़दूरों की आवाज़ को अगर इस तरह से लगातार अनसुना किया जाता रहेगा तो आगामी चुनाव में भी उन्हें इसका खामियाजा भुगतना पड़ेगा।
देश के विभिन्न भागों से गोरखपुर में मजदूरों के दमन की निन्दा और मायावती सरकार को ज्ञापन आदि भेजने का अभियान लगातार जारी है। कुछ प्रमुख सामाजिक कर्मियों और बुध्दिजीवियों का एक प्रतिनिधिमंडल लखनऊ जाकर मुख्यमंत्री से भी मुलाकात करने वाला है।

कृपया इस ऑनलाइन याचिका पर हस्‍ताक्षर करके मजदूरों के दमन का विरोध करें : http://bit.ly/kvIuIq
फेसबुक पर: http://on.fb.me/ke5kI9

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बिगुल के बारे में

बिगुल पुस्तिकाएं
1. कम्युनिस्ट पार्टी का संगठन और उसका ढाँचा -- लेनिन

2. मकड़ा और मक्खी -- विल्हेल्म लीब्कनेख़्त

3. ट्रेडयूनियन काम के जनवादी तरीके -- सेर्गेई रोस्तोवस्की

4. मई दिवस का इतिहास -- अलेक्ज़ैण्डर ट्रैक्टनबर्ग

5. पेरिस कम्यून की अमर कहानी

6. बुझी नहीं है अक्टूबर क्रान्ति की मशाल

7. जंगलनामा : एक राजनीतिक समीक्षा -- डॉ. दर्शन खेड़ी

8. लाभकारी मूल्य, लागत मूल्य, मध्यम किसान और छोटे पैमाने के माल उत्पादन के बारे में मार्क्सवादी दृष्टिकोण : एक बहस

9. संशोधनवाद के बारे में

10. शिकागो के शहीद मज़दूर नेताओं की कहानी -- हावर्ड फास्ट

11. मज़दूर आन्दोलन में नयी शुरुआत के लिए

12. मज़दूर नायक, क्रान्तिकारी योद्धा

13. चोर, भ्रष् और विलासी नेताशाही

14. बोलते आंकड़े चीखती सच्चाइयां


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