गोरखपुर में एक शांतिपूर्ण, न्यायसंगत मज़दूर आंदोलन को ''माओवादी आंतकवाद'' का ठप्पा लगाकर कुचलने की साज़िश का विरोध करें!
प्रिय पाठको,
हम यहाँ पूर्वी उत्तर प्रदेश में स्थित गोरखपुर के दो कारख़ानों के आंदोलनरत मज़दूरों की ओर से जारी एक अपील प्रस्तुत कर रहे हैं। अगस्त के पहले सप्ताह से 1000 से ज़्यादा मज़दूर न्यूनतम मज़दूरी, सुरक्षा के बुनियादी इंतज़ाम, जॉब कार्ड, ई.एस.आई. जैसी मूलभूत मांगों को लेकर आंदोलन कर रहे हैं लेकिन उद्योगपतियों, प्रशासन और स्थानीय भाजपा सांसद योगी आदित्यनाथ सहित राजनीतिज्ञों के एक हिस्से ने उनके ख़िलाफ़ गँठजोड़ बना लिया है। इन लोगों ने मीडिया की मदद से मज़दूर आंदोलन के विरुद्ध कुत्साप्रचार अभियान छेड़ दिया है और मज़दूर नेताओं को ''माओवादी आतंकवादी'' और मज़दूर आंदोलन को पूर्वी उत्तर प्रदेश में अस्थिरता फैलाने की ''आतंकवादी साज़िश'' कहकर बदनाम करने की कोशिश की जा रही है। भाजपा सांसद मज़दूर आंदोलन में चर्च के शामिल होने का आरोप लगाकर इस मुद्दे को सांप्रदायिक रंग देने की कोशिशों में भी जुट गए हैं!
ये शक्तियाँ गोरखपुर में उभरते मज़दूर आंदोलन को अपने लिए एक गंभीर चुनौती के रूप में देख रही हैं क्योंकि यह एक-एक कारख़ाने में सीमित परंपरागत मज़दूर आंदोलन से भिन्न है जिसे अलग-थलग करके तोड़ देना उनके लिए आसान होता था। पूरे बरगदवा औद्योगिक इलाके के मज़दूरों ने आंदोलन कर रहे मज़दूरों को हर तरह से समर्थन देकर एकजुटता की शानदार मिसाल पेश की है। वर्तमान आंदोलन के पहले, इस इलाके के तीन अन्य कारख़ानों के मज़दूरों ने एकजुट होकर लड़ाई लड़ी थी और न्यूनतम मज़दूरी, काम के घंटे कम करने, जॉब कार्ड, ई.एस.आई. जैसी माँगें मनवाने में मज़दूर कामयाब रहे थे। (अब मालिकान-प्रशासन-नेताशाही के आक्रामक गँठजोड़ के चलते इन फैक्ट्रियों के मालिक भी मानी हुई माँगों को लागू करने से मुकर रहे हैं।) हाल ही में सात कारख़ानों के मज़दूरों ने आंदोलन के समर्थन में एक विशाल प्रदर्शन किया था।
प्रशासन इस आंदोलन को कुचलने के लिए नेताओं को झूठे मामलों में फँसाने के लिए सारे हथकंडे आज़मा रहा है। कुछ पुलिस अफ़सरों की ओर से सीधे धमकियाँ दी जा रही हैं कि कुछ नेताओं को ''आतंकवादी'' बताकर एन्काउंटर कर दिया जाएगा और कुछ को जिलाबदर कर दिया जाएगा। फैक्ट्री मालिकों के गुंडे मज़दूरों को ''सबक सिखाने'' के लिए किसी भी हद तक जा सकते हैं।
विस्तार से जानने के लिए आंदोलन का संचालन कर रहे संयुक्त मज़दूर अधिकार संघर्ष मोर्चा की ओर से जारी अपील को पढ़ें। इस आंदोलन से संबंधित ख़बरें और उद्योगपतियों एवं भाजपा सांसद के बयान देखने के लिए यहाँ क्लिक करें। मज़दूरों को आपके सहयोग की ज़रूरत है। कृपया प्रशासन पर दबाव डालने के लिए उत्तर प्रदेश की मुख्यमंत्री और गोरखपुर के ज़िलाधिकारी के नाम विरोध पत्र और ज्ञापन भेजें तथा उनकी प्रतियाँ श्रम मंत्री, श्रम सचिव, राज्यपाल और गोरखपुर के उपश्रमायुक्त को भी भेजें। फैक्स/फोन नंबरों, पतों और ईमेल पतों की सूची के लिए यहाँ क्लिक करें।
''माओवाद'' का ठप्पा लगाकर गोरखपुर में चल रहे मज़दूर आन्दोलन को कुचलने के प्रयासों की निन्दा तथा प्रदेश सरकार से हस्तक्षेप के लिए उत्तर प्रदेश की मुख्यमंत्री से अपील
गोरखपुर के मज़दूर आन्दोलन के समर्थक नागरिक, सामाजिक कार्यकर्ता, छात्र एवं बुद्धिजीवी की प्रधानमंत्री के नाम अपील
संयुक्त मज़दूर अधिकार संघर्ष मोर्चा की अपील गोरखपुर के मज़दूर आन्दोलन के खिलाफ मालिकों और प्रशासन का साज़िशाना कुत्सा-प्रचार अभियान : झूठ और अफवाहों के काले पर्दे से ढँक दी गयी सच्चाइयाँ हमारी अपील - मज़दूरों की बात सुनो! इंसाफ की आवाज़ सुनो!!
4 कमेंट:
गोरखपुर के इन जुझारू मजदूरों को हमारा शत:-शत: परिणाम | और साथ ही ब्लोगिंग की दुनिया से जुड़े लोगों से अपील की वे इन मेहनतकशों के इस कष्टमयी दौर में उन्हें सांत्वना देने के लिए आगे आयें | वे अपने ब्लोग्स पर इनकी कहानी लिखें और बिगुल द्वारा जारी की गयी पटीशन पर अपने हस्ताक्षर कर अपने क़र्ज़ का थोडा सा भुगतान करें क्योंकि यहीं वे मजदूर हैं जिनके कारण हमारें घरों में चूल्हा जलता है I
अंत में बस इतना ही कि :
पहले वे यहूदियों के लिए आये
और मैं कुछ नहीं बोला क्योंकि
मैं यहूदी नहीं था…
फिर वे कम्युनिस्टों के लिए आये
और मैं कुछ नहीं बोला क्योंकि
मैं कम्युनिस्ट नहीं था…..
फिर वे ट्रेडयूनियन वालों के लिए आये
और मैं कुछ नहीं बोला क्योंकि
मैं ट्रेडयूनियन में नहीं था….
फिर वे मेरे लिए आये और
तब कोई नहीं था
जो मेरे लिए बोलता.
-हिटलर के दौर में जर्मनी के कवि पास्टर निमोलर.
इन संघर्षरत मजदूरों को मेरा और कोटा के सैंकड़ों मजदूरों का सलाम! यहाँ भी इस तरह के संघर्ष चल रहे हैं वहाँ सरकार की भूमिका एक जैसी है। राजस्थान में कांग्रेस और भाजपा दोनों की एक जैसी रीति नीति रही है। अभी राजस्थान के पाली जिले के ग्राम रास में सीमेंट फैक्ट्री में संघर्ष जारी है। वहाँ कानूनी सुविधाएं नहीं दी जा रही हैं। बीएमएस ने कानूनी सुविधाओं से भी कम सुविधाएं प्राप्त करने का समझौता कर लिया है। वह मालिकों की जेबी यूनियन है। मालिक ने यूनियन के पंजीकरण को निरस्त करने की दरख्वास्त लगाई है। मजदूर संघर्ष के मैदान में हैं।
हम सिद्धान्त रूप में पढ़ते सुनते आए थे कि सर्वहारा तभी मुक्त हो पाता है जब वह हर प्रकार के शोषण का खात्मा कर देता है। लेकिन आज समझ आ रहा है कि मजदूर के खुद संगठित होने से भी वह अपनी लड़ाई नहीं लड़ सकता उसे दूसरी मेहनतकश पांतों को भी अपने साथ लेना होता है।
rajya satta aane\ wale jansanghrson se niptane ki wyapak tyari kar rahi hai .
ye hai khane ke dant aur dikhane ke dant .
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