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5.7.10

द्वितीय अरविन्द स्मृति संगोष्ठी का आमंत्रण




 विषय: इक्कीसवीं सदी में भारत का मजदूर आन्दोलन: निरन्तरता और परिवर्तनदिशा और सम्भावनाएँसमस्याएँ और चुनौतियाँ

(26-27-28 जुलाई, 2010)
गोरखपुर (उ.प्र.)


प्रिय साथी,
हमारे अनन्य सहयोध्दा का. अरविन्द के असामयिक निधन (24 जुलाई 2008) को दो वर्ष होने को आ रहे हैं। उनके न होने को वे तमाम लोग आज भी स्वीकार नहीं कर पातेजिन्होंने उनके साथ काम किया है। उनकी कमी लम्बे समय तक पूरी नहीं की जा सकतीपर उनके सपने हमारे सपनों में जीवित रहेंगे और हमारे संकल्पों को मज़बूत बनाते रहेंगे।
का. अरविन्द की पहली पुण्यतिथि के अवसर पर गत वर्ष 24 जुलाई को नयी दिल्ली में प्रथम अरविन्द स्मृति संगोष्ठी का आयोजन किया गया था जिसका विषय था : 'भूमण्डलीकरण के दौर में श्रम क़ानून और मज़दूर वर्ग के प्रतिरोध के नये रूप।अब इसी विषय को विस्तार देते हुए इस वर्ष 'द्वितीय अरविन्द स्मृति संगोष्ठीका विषय निर्धारित किया गया है : 'इक्कीसवीं सदी में भारत का मज़दूर आन्दोलन : निरन्तरता और परिवर्तन, दिशा और सम्भावनाएँ, समस्याएँ और चुनौतियाँ।'
विषय की व्यापकता को देखते हुए इस वर्ष संगोष्ठी तीन दिनों की रखी गयी है। पहले दिन के पहले सत्र में 'अरविन्द स्मृति न्यास' और उसके तत्वावधान में संचालित होने वाले 'अरविन्द मार्क्‍सवादी अध्ययन संस्थान' की स्थापना की औपचारिक घोषणा की जायेगी तथा इनके उद्देश्य और कार्यभारों पर सभी आमन्त्रित साथियों के साथ अनौपचारिक अन्तरंग बातचीत की जायेगी। इस स्मृति न्यास और मार्क्‍सवादी अध्ययन संस्थान की स्थापना का निर्णय गोरखपुर में का. अरविन्द के निधन के बाद 27 जुलाई, 2008 को आयोजित शोक सभा में लिया गया था। अब आप सभी साथियों के सहयोग से इसे अमली जामा पहनाया जा रहा है।
26 जुलाई के दूसरे सत्र से लेकर 28 जुलाई के दूसरे सत्र तक संगोष्ठी के लिए निर्धारित विषय पर आलेख पढ़े जायेंगे और उन पर विचार-विमर्श चलेगा।
विषय के बारे में :
बीसवीं शताब्दी साम्राज्यवाद और सर्वहारा क्रान्तियों के प्रथम संस्करणों की शताब्दी थी। यह एक निर्विवाद तथ्य है कि गत शताब्दी के विशेषकर अन्तिम दो दशकों के दौरानविश्‍व पूँजीवाद की कार्य-प्रणाली एवं ढाँचे मेंसाम्राज्यवादी दुनिया के आपसी समीकरणों और राजनीतिक परिदृश्य मेंराष्ट्रपारीय निगमों के चरित्र और राष्ट्रराज्यों की भूमिका में तथा अधिशेष निचोड़ने के तौर-तरीक़ों में अहम बदलाव आये हैं। इन बदलावों का बुनियादी कारण पूँजीवादी उत्पादन प्रणाली की आन्तरिक गतिकी हैलेकिन इनमें सर्वहारा क्रान्तियों की प्रथम श्रृंखला की पराजय और विश्‍वव्यापी विपर्यय से पैदा हुए हालात की भी अहम भूमिका रही है। आज पूँजी का परजीवीअनुत्पादकपरभक्षी और ह्रासोन्मुख चरित्र सर्वथा नये रूप में सामने आया है। इसके ढाँचागत आर्थिक संकट का रूप भी पहले से भिन्न है। लेकिन समस्या यह है कि श्रम के शिविर की ओर से पूँजी के सामने अभी भी कोई प्रभावी चुनौती पेश नहीं हो पा रही है।
दरअसल यह तब तक सम्भव नहींजब तक पूँजी की आज की कार्य-प्रणाली कोउसकी अर्थनीति एवं राजनीति को तथा विचारधारात्मकराजनीतिकऔर सांस्कृतिक वर्चस्व क़ायम करने के उसके नये-नये तौर-तरीक़ों को गहराई से समझकर सर्वहारा-प्रतिरोध की नयी रणनीति विकसित नहीं की जायेगी। प्रश्‍न केवल बहुसंख्यक असंगठित मज़दूर आबादी के साझा संघर्षों का एजेण्डा तय करने और ट्रेड यूनियन काम के क्रान्तिकारी पुनर्गठन का ही नहीं है। प्रश्‍न समूचे मज़दूर वर्ग को उसके ऐतिहासिक मिशन से परिचित कराने का भी हैमज़दूर आन्दोलन में सर्वहारा क्रान्ति की विचारधारा के नये सिरे से बीजारोपण का और उसके हरावल दस्ते के नवनिर्माण का भी है। बीसवीं शताब्दी की सर्वहारा क्रान्तियों और वर्ग-संघर्षों का गहराई से अध्ययन और समीक्षा-समाहार करके सीखना ज़रूरी हैपर स्वतन्त्र विवेक के साथ नयी परिस्थितियों का अध्‍ययन भी ज़रूरी है।
इस बार संगोष्ठी का विषय इन्हीं समस्याओं-चुनौतियों को ध्यान में रखकर तय किया गया है। ज़ाहिर है किथोथा अकादमिक विमर्श हमारा अभीष्ट नहीं है। हम मज़दूर आन्दोलन के क्रान्तिकारी पुनरुत्थान के लिए प्रयासरत एक्टिविस्टों और पक्षधर वाम बुद्धिजीवी साथियों के साथ मिल-बैठकर अध्ययन और व्यावहारिक अनुभवों की पूर्वाग्रहमुक्त साझेदारी करना चाहते हैं तथा वैज्ञानिक वस्तुपरकता के साथ बहस-मुबाहसा चाहते हैं। यह संगोष्ठी इस प्रक्रिया की एक कड़ी मात्र है। आगे हमारा इरादा इसी विषय पर और व्यापक स्तर पर तैयारी करके पाँच दिवसीय संगोष्ठी करने का है।
साथियों से हमारा आग्रह है कि इस विषय पर वे अपना आलेख/पेपर लेकर आयें। इसकी सूचना हमें पहले दे दें तो बेहतर होगा। यदि आलेख भी पहले भेज सकें तो सत्रों की योजना बनाने में हमें आसानी होगी।
हम आपसे इस संगोष्ठी में भागीदारी का हार्दिक आग्रह करते हैं। अतिथि साथियों की सुविधा के लिए आयोजन स्थल (चित्रगुप्त मन्दिर प्रांगणगोरखपुर) पर आवास-भोजन आदि का प्रबन्धएक दिन पूर्व, 25 जुलाई से ही किया गया है। आप अपने पहुँचने की तिथिट्रेनबस आदि की सूचना आयोजन समिति के किसी भी सदस्य के मोबाइल नम्बर पर या आयोजन समिति के कार्यालय (संस्कृति कुटीरकल्याणपुरगोरखपुर) के फ़ोन नम्बर पर दे दें तो हमारे साथी आपको रेलवे/बस स्टेशन पर ही मिल जायेंगे। हम आश्‍वस्त करते हैं कि आपको किसी प्रकार की असुविधा नहीं होगी।
हम आपके उत्तर की प्रतीक्षा कर रहे हैं।
   हार्दिक अभिवादन सहित,
   कात्यायनीसत्यम
   अरविन्द स्मृति संगोष्ठी आयोजन समिति

 कार्यक्रम

आयोजन स्थल (संगोष्ठी एवं आवास) : चित्रगुप्त मन्दिर प्रांगण एवं सभागारनिकटजुबली इण्टर कॉलेजबक्शीपुरगोरखपुर (उ.प्र.)

26 जुलाई
प्रथम सत्र (अल्पाहार के बादप्रात: 10 बजे से अपराह्न 1 बजे तक)
'अरविन्द स्मृति न्यासऔर 'अरविन्द मार्क्‍सवादी अध्ययन संस्थानकी स्थापना की घोषणा। न्यास और अध्ययन संस्थान के उद्देश्य और कार्यभारों की घोषणा तथा उन पर चर्चा।
भोजनावकाश - अपराह्न 1 बजे से 3 बजे तक
द्वितीय सत्र (अपराह्न 3 बजे से रात्रि 8 बजे तकबीच में सायं छ: बजे अल्पाहार)
'इक्कीसवीं सदी में भारत का मज़दूर आन्दोलन : निरन्तरता और परिवर्तन,दिशा और सम्भावनाएँसमस्याएँ और चुनौतियाँविषय पर संगोष्ठी की शुरुआत। विषय-प्रवर्तनआलेख-प्रस्तुति और बहस।

27 जुलाई
प्रथम सत्र (प्रात: 10 बजे से अपराह्न 1 बजे तक)
संगोष्ठी में आलेखों का पाठ और उन पर बहस जारी
भोजनावकाश - अपराह्न 1 बजे से 3 बजे तक
द्वितीय सत्र (अपराह्न 3 बजे से रात्रि 8 बजे तक)
संगोष्ठी में आलेखों का पाठ और उन पर बहस जारी

28 जुला
प्रथम सत्र (प्रात: 10 बजे से अपराह्न 1 बजे तक)
संगोष्ठी में आलेखों का पाठ और उन पर बहस जारी
भोजनावकाश - अपराह्न 1 बजे से 3 बजे तक
द्वितीय सत्र (अपराह्न 3 बजे से रात्रि 8 बजे तक)
संगोष्ठी में आलेखों का पाठ और उन पर बहस जारी

प्रतिदिन रात में भोजन के बाद क्रान्तिकारी गीतोंनाटकों की प्रस्तुतिऐतिहासिक क्रान्तिकारी फ़िल्मों का प्रदर्शन।

आप आयोजन समिति के निम्नलिखित किसी भी सदस्य सेया आयोजन समिति के स्थानीय पते पर सम्पर्क कर सकते हैं :
सत्यमदिल्लीफ़ोन: 9910462009,  ईमेल: satyamvarma@gmail.com
मीनाक्षीदिल्लीफ़ोन: 9212511042
कात्यायनीलखनऊफ़ोन: 9936650658
अभिनवदिल्लीफ़ोन: 9999379381, ईमेल: abhinav_disha@rediffmail.com
सुखविन्दरलुधियानाफ़ोन: 09888025102
तपीशगोरखपुरफ़ोन: 9451957218

आयोजन समिति का स्थानीय पता :
आह्वान कार्यालयसंस्कृति कुटीरकल्याणपुरगोरखपुर-273001
फ़ोन : 0551-2241922,  ईमेल: arvind.trust@gmail.com

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बिगुल के बारे में

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1. कम्युनिस्ट पार्टी का संगठन और उसका ढाँचा -- लेनिन

2. मकड़ा और मक्खी -- विल्हेल्म लीब्कनेख़्त

3. ट्रेडयूनियन काम के जनवादी तरीके -- सेर्गेई रोस्तोवस्की

4. मई दिवस का इतिहास -- अलेक्ज़ैण्डर ट्रैक्टनबर्ग

5. पेरिस कम्यून की अमर कहानी

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10. शिकागो के शहीद मज़दूर नेताओं की कहानी -- हावर्ड फास्ट

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12. मज़दूर नायक, क्रान्तिकारी योद्धा

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